नक्शा क्यों फाड़ा मुस्लिम पक्ष के वकील ने
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 40वें दिन बुधवार को इस मामले पर सुनवाई खत्म की और फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के आखिरी दिन कोर्टरूम में हाईवोल्टज ड्रामा देखने को मिला। मुस्लिम और हिंदू पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। लेकिन कोर्ट में हंगामा उस समय बढ़ गया, जब मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू महासभा के वकील द्वारा पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया।
यह नक्शा अयोध्या से जुड़ा हुआ था। नक्शा फाड़े जाने के बाद हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह के साथ उनकी तीखी बहस भी हो गई। कोर्ट में चल रहे इस पूरे हंगामे पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने नाराजगी भी जताई। राजीव धवन ने किताब और नक्शा पेश किए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं था। उन्होंने कहा, 'क्या मैं इस दस्तावेज को फाड़ सकता हूं। यह सुप्रीम कोर्ट है मजाक नहीं है।' यह कहते हुए उन्होंने नक्शे को फाड़ दिया।
हिंदू पक्ष के वकील ने पेश की थी किताब
इससे पहले हिंदू पक्ष के वकील विकास सिंह ने सुनवाई के दौरान एक किताब 'अयोध्या रिविजिट' पेश करने की अनुमति मांगी। उन्होंने कहा कि इस किताब के अध्याय 24 में लिखा है, 'जन्मस्थान के वायु कोण में रसोई थी। जन्मस्थान के दक्षिणी भाग में कुआं था। जन्मस्थान ठीक बीच में था।' फिर विकास ने उसी किताब का नक्शा कोर्ट को दिखाया। वह नक्शा धवन के पास पहुंचा, जिसे धवन ने फाड़ दिया।
नक्शा फाड़े जाने पर दोनों पक्षों के वकीलों के बीच जमकर बहस चली। इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम इस तरह से सुनवाई नहीं कर सकते।
किताब के लेखक ने जताई आपत्ति
इस किताब में राम मंदिर के पहले के अस्तित्व के बारे में लिखा है। यह किताब रिटायर्ड आईपीएस कुणाल किशोर ने लिखी है। कुणाल किशोर ने नक्शा फाड़े जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि धवन जानते हैं कि अगर नक्शा कोर्ट के सामने पेश हो जाता तो उनका केस न के बराबर रह जाता। अगर उन्हें समस्या थी, तो अपने तय समय में बात रखनी चाहिए थी।