सावन मास की शिवरात्रि आज मनाई जा रही है। सावन मास के कृष्ण पक्ष में मंगलवार के दिन पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। वह भगवान शिव के लिए सिरोधार्य शिवरात्रि होती है। इस बार सावन की शिवरात्रि पर अद्धभुत संयोग बन रहा है, सावन में मंगलवार के दिन मंगला गौरी की पूजा होती है और यह दिन रुद्रावतार हनुमान जी की पूजा के लिए भी समर्पित है। ऐसे में मंगलवार के दिन पड़ने वाली शिवरात्रि का महत्व बढ़ जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा का विधान है। इस दिन कुछ लोग रुद्र चंडी का पाठ भी कराते हैं।
शिवरात्रि पूजा का मुहूर्त : सुबह 06:45 बजे से शाम को 07:38 बजे तक। इस बार का मुहूर्त ऐसा है कि आप सुबह और शाम दोनों समय पूजा कर सकते हैं।
सावन शिवरात्रि पूजा विधि : इस दिन भगवान शिव के पार्थिव की पूजा का विधान है। शिवरात्रि के दिन आप साफ और पूर्ण 1001 बेल पत्र रख लें। उस पर सफेद चंदन से राम-राम अंकित कर दें। भगवान शिव के पार्थिव की पूजा के दौरान आप 1001 बेल पत्र एक-एक करके भगवान शिव को अर्पित करें और हर बार भोलेनाथ के अलग-अलग नामों का उच्चारण करें। यानी शिव शंकर के 1001 नामों का स्मरण हर बेल पत्र के साथ करें। इस बात का ध्यान रखें कि अगले दिन के सूर्योदय से पूर्व पाथिव का विसर्जन करना आवश्यक है।
भोग सामग्री
सभी बेल पत्र चढ़ाने के बाद गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग लगाएं, बाकी प्रसाद स्वरूप लोगों में बांट दें।
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट